HISTORY

 

 

 

महाविद्यालय परिचय


                      यह नवस्थापित महाविद्यालय राजस्थान के दक्षिण पूर्व में स्थित भीलवाड़ा जिले के उत्तर में प्रसिद्ध श्री सवाईभोज की नगरी आसीन्द में स्थित है। इस महाविद्यालय के लिए ब्यावर रोड पर माॅडल विद्यालय के पास 6.07 हैक्टेयर भूमि भवन निर्माण हेतु आवंटित की गई है। जिस पर भवन निर्माण हेतु षिलान्यास दिनांक 3.10.2013 को माननीय श्रीमान् राम लाल जाट विधायक एवं पूर्व मंत्री के मूख्य आतिथी एवं माननीय श्रीमान राम लाल गुर्जर विधायक कि अध्यक्षता में सम्पन्न हुआ। जिस पर निमार्ण कार्य प्रारम्भ हो गया है। भवन का निर्माण आधुनिक सुविधा�"ं को ध्यान में रखकर सरकार द्वारा करवाया जा रहा है। जिसमें इस षिक्षण संस्था की स्थापना का लाभ स्पष्ट रूप से  विद्यार्थियो के माध्यम से जनसाधारण को उपलब्ध होने लगेगा। इस महाविद्यालय की महत्ती आवष्यकता को ध्यान में रखते हुए वर्षो से जन आन्दोलन होते रहे है। जैसे ही सरकार ने आसीन्द में महाविद्यालय खोलने की घोषणा की, चारो �"र खुषी की लहर फैल गयी। महाविद्यालय प्रारम्भ की यथा प्रवेष, भूमि आवंटन आदि कार्य षीध्र प्रारम्भ हो गये। महाविद्यालय के भवन निर्माण पूर्ण होने तक अस्थाई रूप से राजकीय उच्च माध्यमिक विद्यालय आसीन्द के परिसर के कुछ कमरो में संचालित किया जा रहा है। इस महाविद्यालय में बी.ए. प्रथम भाग में भूगोंल, राजनीति विज्ञान, हिन्दी साहित्य, समाज षास्त्र एवं इतिहास में प्रवेष लिए थे। अर्थषास्त्र एवं अग्रेजी साहित्य में प्रवेष नही हुए। सत्र 2013-14 में 113 विद्यार्थियो एवं सत्र 2014-15 में 160 विद्यार्थियों ने प्रवेष लिया। इस प्रकार पिछले दो वर्षो मे महाविद्यालय छोडने के बाद षेष 212 विद्यार्थी नियमित रहे हैे। सत्र 2015-16 में 200 विद्यार्थियों ने प्रवेष लिया वर्तमान में कुल 411 विद्यार्थी अध्ययनरत् है। नवस्थापित महाविद्यालय की स्थापना की प्रारम्भिक अवस्था में अनेक �"पचारिकताएं पूर्व करने के साथ-साथ इनके लिए भौतिक सुविधाएॅ भी जूटाना आवष्यक है, जिसका की वर्तमान  मे महाविद्यालय संचालित भवन में उपलब्ध होना कठिन है। इस कारण महाविद्यालय भवन के निर्माण, आवष्यक सुविधा�" की उपलब्धता एवं उसके षैक्षिक वातावरण उत्पन्न करने के मार्ग में अनेक बाधाएं, समस्याएं एवं चुनौतियां है। जिससे निपटने के लिए सरकार के साथ-साथ आसीन्द के प्रतिष्ठित व्यक्ति, भामाषाह एवं गणमान्य नागरिकों का सहयोग एवं मार्गदर्षन आवष्यक है। जिससे न केवल महाविद्यालय में भैतिक सुविधा�" की व्यवस्थित स्थापना होगी अपितु षैक्षणिक वातावरण का निर्माण भी होगा जिससे व्द्यिार्थियों को प्रतिस्पर्धात्मक युग के अनुरूप अपना विकास करने का अवसर प्रदान करने की दिषा में प्रयासरत रहे �"र अपने स्वनिर्धारित रचनात्मक लक्ष्यो को प्राप्त करने में सफल हो सकें। महाविद्यालय में षैक्षणिक गतिविधियो के अन्तर्गत एन.सी.सी., एन.एस.एस.,स्काउड रोवर क्रु ,योजना मंच, महिला  प्रकोष्ठ (छात्रा�" के लिए) के अलावा खेलकूद ,साहित्य ,सास्कृतिक एवं युवा गतिविधियों आदि का भी आयोजना किया जायेगा। दिनांक 25.09.2016 को आचार्य महाप्रज्ञा काॅलेज रक्त दान षिविर का आयोजन किया गया जिसमें महाविद्यालस के 20 विद्यार्थियों ने सहर्ष रक्तदान किया किया। सत्र 2016-17 में इस महाविद्यालय के प्रथम वर्ष कला के नियमित छात्र केशव कुमार गुर्जर का राज्य स्तीय बाॅलीबाल टीम में चयन एवं सत्र 2015-16 में प्रथम वर्ष कला की छात्रा खुशबू निमावत को देवनारायण स्कूटी योजना में स्कुटी प्रदान की गई है। इस महाविद्यालय के युवा विकास प्रकोष्ठ के तत्वाधान में व्याख्यानमाला आयोजित जिसमें मुख्यवक्ता�" ने स्वीकृत विषय को बेहतर सम्प्रेषण व संगतपूर्व अभिव्यक्ति प्रदान की गई । जिससे विद्यार्थी अपने व्यक्तित्व का समग्र विकास कर सके। स्वच्छ स्वस्थ भारत अभियान के तहत  निम्बन्ध एवं पोस्टर प्रतियोगिता नगर पालिका आसीन्द द्वारा आयोजित की गई जिसमें इस महाविद्यालय की छात्राए प्रथम , द्वितीय व तृतीय स्थान पर आई । इस महाविद्यालय को म0द0स0 विष्वविद्यालय अजमेर से 25 अप्रैल, 2014 को अस्थाई सम्बद्धता मिल चुकी है।

                इस प्रकार सांस्कृतिक धार्मिक एंव आध्यात्मिक महत्व वाली आसीन्द नगरी के प्रतिष्ठित व्यक्ति, भामाशाहा, गणमान्य नागरिकों के भौतिक, बौद्धिक एंव वैचारिक सहयोग से महाविद्यालय उत्तरोतर प्रगति करेगा। जिसमें अध्ययनरत विद्यार्थियो को शारीरिक एंव बौद्धिक विकास से सकारात्मक सोच के साथ रचनात्मक दिशा में अग्रसर होगे जिससे विद्यार्थियों के स्वयं के विकास के साथ क्षेत्र व देश का विकास होगा इस प्रकार विद्यार्थियो कि स्वर्णिम उपलब्धियो से महाविद्यालय 21 वी सदी में उच्च शिखर को छुने को उत्सुक होगा।

   भविष्य में महविद्यालय के विकास व विस्तार की अनन्त सम्भावनाए हैं ।

         

‘‘उद्देष्य निष्चित हो, दृढ संकल्प हो,
भरपूर प्रयास हो तो,
दुविधा रुपी बेड़िया, अपने आप कट जाती है।
जंगल कितना भी घना क्यों न हो-
चल पड़े तो पगडंडिया मिल ही जाती है।
अतः सिर्फ पढ़ो ही नहीं, अच्छी षिक्षा"ं को जीवन में उतारों।
उज्जवल भविष्य की षुभकामना"ं के साथ।