HISTORY

मांगरोल की स्थापना पूर्व मध्य भारत के गांव जावेदसर से पलायन करके आए गूगली गौत्र के मंगलिया मीणा द्वारा एक छोटा सा गांव बसा कर की गई थी।

शिवपुर बडोदा के गौड राजा"ं ने मीणा"ं को अपदस्था कर मांगरोल को अपने कब्जे में ले लिया। बूंदी के हाडा राजा"ं ने गौडो से मांगरोल को जीत कर अपने अधीन कर लिया। उसके बाद बूंदी राज्य का शासन राव सुर्जन हाडा के अधीन था ।मुगल बादशाह शाहजहां के फरमान पर बूंदी राज्यं से कोटा राज्य के संस्थापक राव माधोसिंह हाडा को सन 1631 में यह परगना जागीर में मिला कोटा स्टेज के राजा महाराव भीम सिंह हाडा प्रथम ने मांगरोल को सन 1707 में कोटा राज्य में शामिल कर लिया।

मांगरोल विशेष रूप से कोटा के महाराव एवं सेनानायक फौजदार जालिम सिंह झाला के मध्य युद्ध के कारण प्रसिद्ध रहा है।जालिम सिंह ने महाराव के साथ जब विद्रोह किया तब अंग्रेज सरकार से सहयोग लेकर मांगरोल नगर में राजा किशोर सिंह से मुकाबला किया जिसमें महाराव की हार तथा झाला की जीत हुई ।यह घटना 1 अक्टुिबर सन 1821 की हैं ।जिसमें महाराव किशोर सिंह के छोटे भाई पृथ्वी सिंह विरगति को प्राप्त हुए स्मृति में बमोरीकलां मार्ग पर स्मारक बने हैं।इन स्मारको को सुरली के नाम से जाना जाता हैं।

महाराव रामसिंह (द्वितीय) ने बांण गंगा नदी के बाए तट पर सन 1846 में बाग बाबाजी राज का सुद़ढ दुर्ग शैली का निर्माण करवाकर बाग व क्षार बाग बनवाया ।

मांगरोल स्वातंत्रता से पूर्व कोटा‍ स्टेट के अन्तर्गत बारां जिले में आता था।सन 1949 में बारां जिला समाप्त हो जाने पर कोटा जिले के अन्तर्गत आ गया ।

10 अप्रेल 1991 से बारां जिले के अस्तित्व‍ में आ जाने पर मांगरोल उपखण्ड मुख्यागलय बनाया गयाा यहां पर तहसील, अस्पाताल, मुन्सिफ कोर्ट, सार्वजनिक निर्माण विभाग व सी0ए0डी0 के कार्यालय स्थापित हुए ा मांगरोल नगर टेरीकॉट, खादी उत्पानदन के रूप में कोटा सम्भाग में प्रसिद्ध हैं।