HISTORY

Parbatsar is associated with the history of Tejaji


There is a temple of Tejaji at Paner in which three statues are placed. People believe that a statue of Tejaji came out from the ground on its own at site of Raimal's house. The magical powers of Tejaji had spread all around. Maharaja Abhay Singh of Jodhpur wanted to shift this statue to to his state Jodhpur. He got it dug out the statue for many days but could not take out this. It is believed that Maharaja Jodhpur at last saw Tejaji in dream who guided him that statue can not be taken out from here but it can be installed at boarder of Nagaur district. Later Jodhpur Maharaja got constructed a temple of Tejaji at Parbatsar and installed a statue of Tejaji here.

 

Tejaji fair

A large fair, Mela Tejaji, Takes place on the eleventh lunar day of Bhadrapad Shukla Paksh (Aug.-Sept.) every year in village Parbatsar, District Nagaur in Rajasthan.

सबसे बड़ा पशु मेला

परबतसर (नागौर) - वीर तेजाजी महाराज की स्मृति में भरने वाला प्रदेश का सबसे बड़ा पशु मेला लगता है तथा मंदिर परिसर में पूरे भादौ मेले सा माहौल रहता है।

परबतसर में एशिया का सबसे बड़ा तेजाजी पशु मेला भरता है। यहाँ बिकने आने वाले पशु की अधिकतम संख्या 130000 है तथा उसमें से बिक्री का रिकार्ड 100000 का है। हर वर्ष परबतसर मेले में सारे पशु रात को अचानक खड़े हो जाते हैं। ऐसी मान्यता है कि रात्रि को तेजाजी अपनी घोड़ी लीलण पर चढ़कर आते हैं हर साल एक बार मेले में सभी प्राणियों को दर्शाव देते हैं। इस चमत्कारिक घटना के गवाह मेले में जाने वाले बड़े बुजुर्ग व पशु पालक हैं।

जोधपुर राज्य के राजा अभय सिंह को सोते समय तेजाजी का दर्शाव हुआ। दर्शाव में तेजाजी ने राजा से कहा कि दक्षिण में मध्य प्रदेश तक के लोग मेरी पूजा करते हैं लेकिन मारवाड़ में मुझे भूल से चुके हैं. तेजाजी ने वचन दिया कि जहाँ लीलन , खारिया तालाब, में रुकी थी वहां मैं जाऊंगा। राजा ने पूछा, हम चाहते हैं कि आप हमारी धरती पर पधारो। पर आप कोई सबूत दो कि पधार गए हैं। तेजाजी ने दर्शाव में कहा कि परबतसर तालाब के पास जहाँ लीलण खड़ी हुई थी वहां जो खारिया तालाब है उसका पानी मीठा हो जायेगा एवं टीले पर जो हल का जूडा पेड़ के पास लटका है वो हरा हो जायेगा तथा यह खेजडा बनकर हमेशा खांडा खेजड़ा रहेगा। जोधपुर महाराज ने पनेर से तेजाजी की असली जमीन से निकली देवली लानी चाही लेकिन असफल रहे। अंत में तेजाजी ने दर्शाव में कहा कि मैं बिना मूर्ती के ही आ जाऊंगा, तब राजा ने देवली दूसरी लाकर लगाई। राजा जब वहां पधारे हल का जूडा हरा हो गया तथा खारिया तालाब का पानी चमत्कारी ढंग से मीठा हो गया। जोधपुर राज्य के राजा अभय सिंह को अपार ख़ुशी हुई  लोक देवता वीर तेजाजी का मंदिर खारिया तालाब की तीर पर बनाया।