INTRODUCTION

 

राजस्‍थान संगीत संस्‍थान - एक विहंगावलोकन


विरासत में अंकुरित राजस्‍थान संगीत संस्‍थान शैशव अवस्‍था में दीर्घकाल तक महाराजा स्‍कूल आफ आर्ट एवं क्राफ्ट के नाम से प्रसिद्ध रहा हैा अब तक की अवधि में विद्यार्थियों को उच्‍च कोटि के सम्‍मानीय गुरूजनों के अमूल्‍य मार्गदर्शन में चित्रकला, हस्‍तकला आदि में न केवल निपुणता ही प्राप्‍त करने का अवसर नहीं मिला अपितु विशिष्‍ठ एवं अति विशिष्‍ठ कलाकारों की श्रेणी में भी नामांकित होने का गौरव प्राप्‍त हुआ ।

1950 में संगीत की स्‍वर लहरियों का समायोजन अर्थात् संगीत विषय का समावेश वर्तमान राजस्‍थान संगीत संस्‍थान के उद्विकास में आधारशिला हैा यही राजस्‍थान कला संस्‍थान के रूप में पुर्ननामांकित हुआ ।

वर्ष 1966 में वर्तमान राजस्‍थान संगीत संस्‍थान में विशुद्ध संगीत विषय का समावेश हुआ ।

संस्‍थान ने लगभग तीन दशक, सत्र 1978-79 तक की उपरोक्‍त सोपानबत्र यात्रा, प्राथमिक एवं माध्‍यमिक शिक्षा, राजस्‍थान बीकानेर के नियन्‍त्रण में पूर्ण की ।

सत्र 1979-80 में निदेशालय कॉलेज शिक्षा वर्तमान में निदेशक, कॉलेज शिक्षा, राजस्‍थान, जयपुर ने स्‍तरोन्‍नयन (निपुण/डिग्री कोर्स) के उद्देश्‍य से इसे अधिग्रहण करके प्रगति निर्णायक चरण में अग्रसर होने का गौरव प्रदान किया। सत्र 1988-89 में राज. विश्‍वविद्यालय की बी; म्‍यूज कक्षाऐं संस्‍थान में भी प्रारम्‍भ की गई ।

उच्‍च शिक्षा विभाग, राजस्‍थान सरकार क पत्र क्रमांक प. 9 (1) शिक्षा-3/2004 दिनांक 29.08.2007 द्वारा राजस्‍थान संगीत संस्‍थान, जयपुर को स्‍नातक स्‍तर के राजकीय महाविद्यालय का दर्जा प्रदान किये जाने की प्रशासनिक स्‍वीकृति दी गई ।

उच्‍च शिक्षा विभाग, राजस्‍थान सरकार ने सत्र 2013-14 से  राजस्‍थान संगीत संस्‍थान, जयपुर को स्‍नातकोत्तर  स्‍तर के राजकीय महाविद्यालय का दर्जा प्रदान किया गया है ।

उद्देश्‍य -


राजस्‍थान की राजधानी, जयपुर, गुलाबी नगरी में राजस्‍थान सगीत, संस्‍थान, राज्‍य का इकलौता एवं देश की ख्‍याति प्राप्‍त संस्‍थानों में से एक संगीत महाविद्यालय हैा विद्यार्थयों को शास्‍त्रीय संगीत की तीनों शाखा - गायन, वादन एवं नृत्‍य (कथक) की बारीकियों से परिचय करवाते हुए रूझान पैदा करवाना एवं योग्‍य शिक्षक एवं कलाकर बनने के पथ पर अग्रसर करना इस संस्‍थान का उद्देश्‍य है ।