प्राचार्य का सन्देश
शिक्षा मानव समाज के सर्वांगीण विकास की आधार- शिला है मानव को विवेकशील एवं संस्कारवान बनाकर शिक्षा ही निरंतर उसे प्रगति के पथ पर अग्रसर होने की प्रेरणा देती हैद्य वास्तव में किसी भी सभ्य समाज के अनुभूत सत्य की साक्षी शिक्षा ही है हम सभी शिक्षकगण अपनी विवेकशीलता प्रगतिशील कर्मनिष्ठ एवं शैक्षणिक कुशलता को आधार बनाकर वर्तमान समय की आवश्यकतानुसार ज्ञान प्रवाह की अविरल धारा को निरंतरता के साथ प्रवाहित करने का भीष्म संकल्प लें साथ ही कुशल निर्देशन एवं सत्य परामर्श के उचित संयोजन से छात्र-वर्ग में अंतर्निहित क्षमता" एवं अपार संभावना" का समुचित विकास कर राष्ट्र- निर्माण सहयोग करेंद्य महाविद्यालय में शिक्षण कार्य के साथ साथ छात्र छात्रा" के सर्वांगीण विकास हेतु अनेक गतिविधियां वर्ष पर्यंत चलती रहती हैं।
हमारा गुरुत्तर दायित्य है कि वैश्वीकरण के इस युग में दृढ-संकल्प शक्ति विचारशीलता त्याग-निष्ठा कर्मठता एवं सदाशयता को आधार बनाकर संस्कारित कर्मनिष्ठ प्रखर मेधा संपन्न छात्रों की ऐसी पौध तैयार करे जो ज्ञान जगत के कल्याण के साथ अपने राष्ट्र की अमर एवं अनमोल धरोहर बन सके मुझे विश्वास है कि हमारे विद्यार्थी आगे चलकर प्रबुद्ध देशभक्त एवं विविध कौशलों से परिपूर्ण सभ्य नागरिक बनेंगे एवं समाज" देश के विकास में अपना यथासंभव सक्रिय योगदान देकर अपने मानव जीवन को सफल बनाएँगे।